Saturday, October 12, 2013

खुशियाँ-अहसासों से प्रेरित एक लेख

बहुत समय बाद वापस ब्लॉग पर आया हूँ. समय बहुत जल्दी बीतता है. अहसास ही नहीं हुआ और ३ साल जैसे पंछी की तरह पंख लगाकर बीत गए. रचनाये तो बहुत लिखी, बस यहाँ नहीं डाल पाया. आज ब्लॉग वापस लिखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे कुछ खोया हुआ वापस मिल गया. आज मैं अपनी रचना नहीं बल्कि एक ऐसे गीतकार की पंक्तिया लिख रहा हूँ, जो मेरे दिल के बहुत करीब हैं.

दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेकर चल रहे हो, तो जिंदा हो तुम
नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ लेकर चल रहे हो, तो जिन्दा हो तुम

हवा के झोंकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो
तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो
हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहें
हर पल एक नया समाँ देखें ये निगाहें

जो अपनी आँखों में हैरानियाँ लेकर चल रहे हो, तो जिंदा हो तुम 
दिलों में तुम अपने बेताबियाँ लेकर चल रहे हो, तो जिंदा हो तुम


-- जावेद अख्तर जी 

किसी ने सच कहा है की दुनिया की हर चीज़ यक़ीनन खुबसूरत है, बस नज़रें पारखी होनी चाहिए. आज हम अपनी ज़िन्दगी में इतने खो चुके हैं कि बस ज़िन्दगी जीने के अलावा हर चीज़ की फ़िक्र है.
कॉलेज मिलने के बाद मेरी ज़िन्दगी पूरी तरह बदल गयी थी. रोज़ की वो छोटी छोटी चीज़ें जो मुझे खुशियों से भर देती थीं, कहीं खो गयी. लगता था घर से बाहर अनजान शहर में बचपन कहीं गुम हो गया है. किसी भी चीज़ की उपलब्धि की ख़ुशी नहीं होती थी, वो ख़ुशी जो दिल में तितलियों के उड़ने का एहसास करा दे. जो बचपन में होता था.

पर फिर एक दिन एक सुबह कमरे की खिड़की पे एक चिड़िया आकर बैठ गयी.और अपनी मीठी आवाज़ में अपना कलरव करने लगी जैसे अपनी आवाज़ से मुझे उठा रही हो. बहुत देर तक अपना गाना सुना कर वो उड़ गयी. पर मुझे एक एहसास ज़रूर करा गयी. ज़िन्दगी की हर सुबह खुशियों के गीतों से हो और आप ज़िन्दगी का हर काम दिल के चहचहाते हुए करें, तो आपका बचपन और खुशियाँ आपसे कोई नहीं छीन सकता.

और एक बात और "अपनी आँखों में हैरानियाँ बसाइये"
ज़िन्दगी की कितनी छोटी छोटी चीज़ें हमे खुश कर सकती हैं पर हम उनपर कभी गौर भी नहीं करते. ज़रा खोजिये खुशियाँ आपके आस पास ही छुपी हैं, ज़रूर मिलेंगी.

ज़िन्दगी की हर चीज़ खुशियों की नज़र से देखिये.

क्या पता ज़िन्दगी कब आपको कुछ हसीन दिखा दे .